Hindi Suvichar

Hindi Suvichar

तेरे गिरने में तेरी हार नहीं यु

इंसान है अवतार नहीं तू गिर

उठ चल दोद फिर भाग क्युकी

जीवन सक्सिप्त है इसका कोई सार नहीं

शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे होते हैं

, खुद जहा है वही पर

जिस धागे की गांठें खुल सकती हैं

उस धागे पर कैंची नहीं

सबको गिला है,
बहुत कम मिला है,
जरा सोचिए…
जितना आपको मिला है,
उतना कितनों को मिला है