Love Shayari
बेखबर हो गए कुछ लोग जो हमारी
जरूरत तक महसूस नहीं करते
कभी कभी बाते किया करते ठे हमसे
अब खेरिआत तक नहीं पूछा करते
मैं चाहता हूँ मैं तेरी… हर साँस में मिलूँ,
परछाईयों में, धूप में, बरसात में मिलूँ।
कोई खुदा के दर पे मुझे ढूंढ़ता फिरे,
मैं भी किसी को मिलूँ।
तड़पे हजारों दिल मगर हासिल न मैं हुआ,
तू चाहता है मैं तुझे यूँ ही खैरात में मिलूँ।
हर एक हसीन चेहरे में गुमान उसका था,
बसा न कोई दिल में ये मकान उसका था,
तमाम दर्द मिट गए मेरे दिल से लेकिन,
जो न मिट सका वो एक नाम उसका था
अमल से भी माँगा वफ़ा से भी माँगा,
तुझे मैंने तेरी रज़ा से भी माँगा,
न कुछ हो सका तो दुआ से भी माँगा,
कसम है खुदा की खुदा से भी माँगा
अजब मुकाम से गुजरा है रास्ता दिल का,
न आज की खबर है न पता है कल का,
बेनूर सी आँखों में उनकी हसरत के सिवा,
और क्या मानी है के हासिल का,
तड़पे हैं सारी रात तेरी यादों के साए में,
वक़्त हमने भी गुजारा है वो मुश्किल का,
कोई ख्वाब भी देखें तो किस तरह देखें,
याद फिर आ गया है बिखरना दिल का
शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ ग़म का फसाना है,
मेरे आगे है तेरे आगे ज़माना है,
पुकारा है तुझे मंजिल ने लेकिन मैं कहाँ जाऊं,
बिछड़ कर तेरी दुनिया से कहाँ मेरा ठिकाना है
अपने रुख पर निगाह करने दो
खूबसूरत गुनाह करने दो,
रुख से पर्दा हटाओ ऐ जाने-हया
आज दिल को तबाह करने दो
चमन में जो भी थे नाफ़िज़ उसूल उसके थे,
तमाम और फूल उसके थे,
मैं इल्तेज़ा भी करता तो किस तरह करता,
शहर में फैसले सबको कबूल उसके थे