Love Shayari
है अजीब शहर की जिन्दगी
न सफर रहा न कयाम है
खी कारोबार सी दोपहर कही
बदमिजाज की शाम है
निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की
एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है
उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने,
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर